About Me

रमेश कुमार वर्मा

निसर्ग से सब कुछ उद्भूत हुआ है; गृह-नक्षत्र, चाँद-तारे, नदी-पहाड़ सभी कुछ परस्पर सहयोग के लिए काम करता है। सब कुछ अन्योनाश्रित है! यह सार्थक सहयोगी व्यवस्था सृष्टि निर्माता की गढ़ी गयी है। जड़-चेतन का परस्पर सहयोग ही इसे बनाए रखता है। एक दूसरे का सहयोगी है।

मैं रमेश कुमार वर्मा, मध्यप्रदेश के सिवनी शहर में पैदा हुआ। पिता जी सिवनी में वकालत करते थे। ५१ वर्ष की आयु में केंसर से पीड़ित हो कर मृत्यु को प्राप्त हुए। हम ६ भाई और ३ बहनें थे। माता जी की निगरानी में हम सब ग्रेजुएट-पोस्ट ग्रेजुएट हुए। हमारा २० एकड़ का एक खेत था। खाने को खेत से मिल जाता था । माता पिता और चाचा चाचियों के विस्तृत परिवार में जन्म और मृत्यु का क्रम अनवरत चलता रहा। और हम सबका प्रकृति से नाता सदा जुड़ा रहा। रुतुएँ बदलती रहीं और प्रकृति सदा अभिनव रूप धारण करती रही ।

जब हम प्रकृति की गतिविधियों को देखते हैं, तो दुःख की बदली हो या सुख की फुहार हम दोनों में पुलकित रह लेते हैं।

इसी को रेखांकित करता मेरा ब्लॉग है; निसर्ग से व्यक्ति तक “अभिव्यक्ति” 

कविताएँ हों या कहानी, हमारी हों या ज़माने की, यदि खुश गवार हो, और सकारात्मक सोच का पोषण करती है, इस ब्लॉग का विषय बनती है।