१९५०-५१ में भारत का संविधान बन चुका था। हिन्दी राज-भाषा बन गयी थी।
आगरा प्रिंटिंग प्रेसों का बादशाह था। बहुत प्रिंटिंग प्रेसें थीं वहां। पुराने मध्यप्रदेश में दो माध्यम स्वीकृत हुए; हिन्दी और मराठी। मराठी तो चली गयी पूना के पास और हिन्दी आयी आगरा के पास। हिन्दी की तो अब तक दो ही प्रेस थीं एक बनारस-कलकत्ता की गीता प्रेस और दूसरी आगरा की। सरिता पत्रिका आगरा में ही छपती थी। और इधर उधर की पत्र पत्रिकाएं बम्बई, और बनारस में छपती थीं।
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