ब्रह्मार्पण मंत्र

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हमारा भोजन बहुत महत्वपूर्ण है| हम दैनंदिन जितनी मानसिक और शारीरिक गतिविधियों; में निरत होते हैं, वह सब हमारे शरीर के सक्षम होने पर निर्भर रहता है| और यह क्षमता हमें सुस्वादु और पौष्टिक भोजन से प्राप्त होती है| जब हम भोजन करते हैं तो हमारे शरीर के भीतर अनेक तरह की पाचन क्रियाओं के द्वारा वह भोजन अनेक पोषक तत्वों में बदल जाता है, जो शरीर को पोषण प्रदान कर हमें शारीरिक और मानसिक, दोनों रूप से सक्षम बनाए रखता है| इस प्रकार हम स्वास्थ्य और आयुष्य दोनों प्राप्त करते हैं|रुचिकर और ताज़ा भोजन हमारी पाचन क्रिया को विधिवत चलाने में बहुत सहायक है|अतएव भोजन को बनाते वक्त हमें तीन प्रकार की शुद्धियों का ध्यान रखना होता है|

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।। कुम्भ मेला ।।

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Kumbh Mela Source: Google

भारत में कुम्भ मेलों का चलन अति प्राचीन काल से है।देश में यह मेले चार स्थानों में भरते हैं। 1. प्रयागराज में जो तीन नदियों, गंगा, यमुना और विलुप्त सरस्वती का संगम स्थल है। 2. हरिद्वार, जहाँ गंगा पहाड़ों से उतर कर धरातल पर आती है।3. मध्य प्रदेश के शिप्रा के तट पर बसे प्राचीन नगर, उज्जैन में। तथा 4. महाराष्ट्र में गोदावरी के तट पर बसे नाशिक या नासिक में।

कुम्भ मेले दो तरह के होते हैं: 12 वर्ष के अंतराल में पूर्ण कुम्भ तथा 6 वर्ष के अंतराल में अर्ध कुम्भ।

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उमंग और उत्साह का त्यौहार होली !

 

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होली का त्यौहार  हमारे जीवन में उत्साह, उमंग और  उल्लास लेकर आता  है।यह त्यौहार फागुन की पूर्णिमा और उसके दूसरे दिन, दो दिन  मनाया जाता है।ठंड की ऋतु बीत  रही है। मकर संक्रान्ति से दिन तिल तिल करके बढ़ते हैं। और अब फागुन की पूर्णिमा तक दिन और रात बराबर हो जाते  हैं। होली के दूसरे  दिन चैत्र मास की प्रथमा होती है और गर्मी की ऋतु का पदार्पण होता है। दिन बड़े होते जाते हैं और रातें छोटी। वातावरण में  उष्णता  बढ़ती जाती है। 

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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग

हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में 12 है।

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1. श्री सोमनाथ : गुजरात के सौराष्ट्र क्षे‍त्र में स्थित यह ज्योतिर्लिंग ऐतिहासिक महत्व रखता है। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।

यहां रेल और बस से जा सकते हैं। रेल वेरावल तक जाती है। सोमनाथ के वर्तमान मंदिर का उद्घाटन देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा किया गया था।

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महाशिवरात्रि — शिव आराधना की रात्रि

इस वर्ष, २०१९ में महाशिवरात्रि ४ मार्च को पड़ रही है. यह पुण्य लाभ का मंगल सुयोग है. आइये देखते हैं किस प्रकार इस व्रत के नियमों का पालन कर यह लाभ उठायें!shiv image

शिवरात्रि का त्यौहार  हिन्दुओं का बहुत पावन और महत्वपूर्ण  त्यौहार है. जिसे हर वयस्क हिन्दू बड़ी श्रद्धा और भक्ति से मनाता है. इस दिन वह उपवास व व्रत रखता है. शिवलिंग का अभिषेक करता है, पूजा करता है और सामूहिक रात्रि जागरण कर शिव स्तुति, मन्त्र जाप और कीर्तन कर शिव को प्रसन्न करता है.

भारत की प्राचीन परम्पराओं के अनुसार दिन की अपेक्षा रात्रि को विशिष्ट आराधना,  पूजा, मन्त्र साधना आदि के लिए अधिक उपयोगी और कारगर माना जाता है.

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।। मकर संक्रांति ।।

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भारत में  मकर संक्रांति  बड़े उत्साह से मनाई जाती है । लोग नदियों में स्नान करते हैं । तिल का दान करते हैं। तिल गुड़ के लड्डू बनाते हैं।
माना जाता है कि आज से दिन की अवधि तिल तिल करके बढ़ने लगती है। तथा ठिठुरती ठण्ड  के बाद अब खुशगवार मौसम की शुरुआत हो जाती है। प्रकृति भी पुराने पत्तों को छोड़ कर नए पत्ते धारण करने लगती है। मौसम सुहाना होने लगता है। और इसीके बाद हर्ष और उल्लास के उत्कर्ष पर होली का त्यौहार आता है।
भारत के ऋषियों मुनियों  ने  ब्रह्माण्ड एवं हमारे सौरमंडल के विषय में विशद अध्ययन किया था और विभिन्न ग्रहों  की गतियों की गणना की थी।
उन्हें यह ज्ञात था कि हमारी पृथ्वी गेंद जैसी  गोल है। और वह सूर्य की परिक्रमा करती है। स्वयं अपनी धुरी पर भी  घूमती है। जिस कारण दिन और रात होते हैं। पृथ्वी पर जब हम सूर्य के सामने होते हैं, हमारा दिन होता है और जब हम सूर्य के पीछे हो जाते हैं, हमारी रात हो  जाती है।
इस प्रकार धरती अपनी धुरी में घुमते हुए सूर्य का चक्कर भी लगती है। जो साल भर में पूरा होता है।

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पंचमुखी हनुमान कौन हैं और उनकी विशेषताएं क्या हैं?

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भगवान् शिव के ग्यारह रूद्र माने गए हैं| उनमें से पंचमुखी हनुमान दसवें रूद्र माने  जाते हैं|  हनुमान जी ने राम-रावण युद्ध के दौरान यह रूप धारण कर के अहिरावण का वध किया था|

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नवरात्रि

WhatsApp Image 2018-10-14 at 07.23.57-2माँ सर्व शक्ति स्वरूपिणी है। और इस जगत में माँ के इस दिव्य पक्ष को घोषित करने के लिए नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इन नौ दिनों में हम दुर्गा, लक्ष्मी एवं सरस्वती की पूजा करते और अपनी कृतज्ञता प्रकाशित करते हैं।

दुर्गा शक्ति स्वरूपिणी हैं – जो दैहिक, दैविक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करती हैं; लक्ष्मी हमें सभी प्रकार के ऐश्वर्य प्रदान करती हैं। यह ऐश्वर्य हैं; ज्ञान-ऐश्वर्य, प्राण-ऐश्वर्य एवं विद्या ऐश्वर्य। सरस्वती हमें बुद्धि-शक्ति, विवेक-शक्ति तथा शब्द-शक्ति देती हैं।

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Why is a Kalash Installed Ceremoniously During a Pooja?/ पूजा में कलश की स्थापना क्यों की जाती है?

         पूजा के विविध उपचार एवं उनके आतंरिक अर्थ:

 कलश

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जब घर में हम किसी प्रकार की पूजा अर्चना अथवा अनुष्ठान करते हैं, अथवा कोई भी मांगलिक कार्य करते हैं. तो उसमें एक पवित्र कलश रखने का विधान है।

आइये इसके मर्म को समझते हैं:

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गणेश जी का कौनसा चित्र, मूर्ति,अथवा विग्रह घर में पूजा के लिए रखनी चाहिये ?/Which Image or Idol of Lord Ganesha Should Be Installed In Homes?

गणेश जी का चित्र या मूर्ति खरीदते वक्त ध्यान रखिये की गणेश जी की सूँड़ बाँयीं ओर को मुड़ी हो. अर्थात् आप मूर्ति / चित्र को देखें तो आपकी दायीं ओर को मुड़ी दिखे. ऐसी मूर्ति वामवर्ती कहलाती है. घर में यह वामवर्ती मूर्ति अथवा  फोटो शांति और समृद्धि लाती हैं. ऐसी मूर्तियों / चित्रों में गणेश जी की चन्द्र-शक्ति क्रिया शील रहती है. जो सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार की प्रगति कारक बनती है.

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