नागफनी   का   फूल

 

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नागफनी का फूल

नागफनी का फूल देखा है ?

नागफनी, नाग की फनी?

नहीं, एक प्रकार का कैक्टस, जिसका तना नाग के फन की शकल की एक से दूसरी जुड़ी

पत्तियों की तरह होता है। पत्तियाँ एक के ऊपर एक और एक के बगल में दूसरी करके

शाखा रूप में भी बढ़ती हैं।

वैज्ञानिक बताते हैं, तना पत्तियों के रूप में और पत्तियाँ नुकीले काँटों के रूप में

रूपांतरित हो जाती हैं।

कैक्टस सूखे और गरम प्रदेशों में पाया जाता है। जहां ताप के कारण बढ़े हुए उद्वाष्पन

से बचने के लिए तना गूदेदार और हरा (क्लोरोफिल-युक्त) होकर सूर्य के प्रकाश में पोषण

के लिए कार्बोहायड्रेट बनाने का काम करता है। तथा पत्तियाँ नुकीले काँटों के रूप में

रूपांतरित होकर पौधे की रक्षा करती हैं !

यह सब मैं किसलिए बता रहा हूँ? यह कहानी भी हमारे ऐसे ही प्रदेश से जुडी हुयी है.

हम लोग मध्य प्रदेश के सिवनी शहर में रहते थे. अंग्रेजों का ज़माना था. परीक्षाएं अप्रैल

में हो जाती थी. मई और जून दो महीने छुट्टी के होते थे. अम्मा लोग भी खाना चौका

करके एक झपकी लेना चाहती थी. उन्हें चिंता होती थी कि लड़के धूप में घूम कर बीमार

न पड़ जाएँ. सो सब को खदेड़ कर सुलाने की ज़िद में रहती थीं।

बच्चों को छुट्टियों में नींद कहाँ ! दिन भर धमा चौकड़ी और रोमांच की तलाश में ही

दिन बीतता। एक दिन पहले ही अगले दिन का प्लान बन जाता है। हम लोगों का भी

तय रहता था।

अम्मा ने सोने कहा तो कहते, उजाले में नींद नहीं आती! फिर क्या था दो खाटों

को अगलबगल में रख कर ऊपर चादर ढँक दिया जाता। उसके अन्दर हम सोने का

नाटक करते। और झाँक झांक कर देखते। अम्मा की नींद लगी, और हम लोग चुपके से

एक के पीछे एक दबे पैर बाहर हुए। ग्रुप ने लगाई दौड़ और सीधे मरघट के पार बोर्दई

के जंगल! वहाँ चार चुरना के बहुत सारे पेड़ थे।

‘चार’ जिसके ऊपर खट्टा मीठा गूदा और जामुन की तरह का छिलका होता है।

पर यह फल आकार में बहुत छोटा होता है। इसी को सुखा और तोड़ कर मेवे वाली

चिरोंजी निकाली जाती है। चुरना भी इसी के आकार का हलके पीले रंग का स्वाद में कुछ

मीठा सा जंगली फल होता है। इसके बीजे दो-तीन छोटे छोटे कोमल कवच वाले होते हैं।

इनसे चिरोंजी नहीं मिलती।

देर दोपहर हम घर लौट आते जिससे किसी को हम पर शक नहीं होता।

ऐसे ही एक बार तय हुआ कि नागफनी का फल खाएं। मिठास होती है। अच्छा लगता है।

कांटे तो हैं पर सम्हाल कर तोड़ लेंगे।

सो अगले दिन छुपकर दीवानखाने के पीछे की झाड़ियों में पहुँच गए। वहाँ

नागफनी के बहुत सारे पेड़ हैं। और फूल! नागफनी के फूल देखना हो तो गर्मियों में!

चटख पीले और चटख लाल!

पर यों ही नहीं जा सकते नागफनी के पास। आपको पता नहीं चलेगा और चार

छः कांटे चुभ जायेंगे पैर में या कहीं भी! इतने बारीक बारीक भी होते हैं कांटे, रोयें की

तरह, सारी जगह बिखरे रहते हैं; और हवा में !

फल ही है या बोंडी, कह नहीं सकते! पर होता है फूल के बीचों-बीच!

बच्चों के लिए इसे तोड़ पाना अत्यंत दुष्कर कार्य है। क्योंकि फूल लगता भी है

तो पौधे के सिरे पर, ज़मीन पर गिरे हुए असंख्य काँटों के बीच। सम्हल कर खड़े होना

पड़ता है। फिर हाथ बढ़ा कर फूल को लपकना होता है। पौधे में जहाँ तहां, कांटे ही कांटे।

जो खाना चाहे वही तोड़े।

मैंने तोड़ा भी और खाया भी! उसकी आल्हादकारी मिठास का आनंद ले पाता,

उसके पहले जीभ असंख्य रोयें जैसे काँटों से बिंध गयी। स्वाद लेना भूल जीभ से कांटे

निकालने के उपक्रम में लगा।

जीभी पर जीभी की।

सीधा जीभ पर टूथपेस्ट लगाया।

तेल मला।

पत्थर से रगड़ा।

दूध और मलाई लगाया।

नहीं निकले तो कांटे नहीं निकले।

घर में बता नहीं सकता था।

सोच लिया जो होना हो, हो!

पर यह सब तो बाद का किस्सा है।

अभी हम लौटे हैं। और मिन्दे को प्यास लग गयी।

गिरधारी के घर में पीछे से गए। उसकी माँ काम पर गयी थी।

अंदर की चाबी माँ के पास थी।

पानी अंदर रखा था।

और मिन्दे की आँख पलटने लगी!

ससुरे ने पहले बताया नहीं। मरने की हालत हो आयी तब पानी माँगा !

फ़ौरन उसके छोटे भाई, पज्जी को दौड़ाया कि बीजी को बुला कर लाये।

बाकी हम सब दौड़ भाग में लगे।

घबडाहट के मारे दम निकल रहा था।

इतने में बीजी आ गयीं।

उनके साथ हम भी भागे।

जाकर देखा तो मिन्दे

आँखें खोले चैतन्य बैठा है।

बहुत गुस्सा आया।

बाद में, गिधारी में बताया कि कपड़े के बाद का जो धोवन गंगाल में पड़ा था। उसने मिन्दे को वही पिला दिया था।

***

3 Replies to “नागफनी   का   फूल”

  1. कहीं गहरे छू जाता है संस्मरण | कविता सा सुमधुर प्रवाह लिए अपने शीर्षक को चरितार्थ करता चलता है | ऐसा ही तो होता है हमारे बचपन का कुतूहल, नागफनी के फूलों जैसा सुन्दर, लाल, पीला लुभावना पर काँटों से ढंका हुआ, मीठा फल | जो डरा नहीं काँटों से, उसने चखा मीठा फल |

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  2. Too good..Man khush ho gaya..Bachpan ki dhama chaukadi bahut hi rochak lagi..khilkhila ke hasa a diya is romanchak kahani ne!👏🏻😃👌👌

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