पाषाण बनी, पापग्रस्त,
शापग्रस्त,
ऋषि गौतम की पत्नी, देवी अहिल्या
प्रभु राम के पाद-स्पर्ष से
शापमुक्त हो जाग्रत हुयी हैं.
इस अवस्था में
कवि रवींद्रनाथ का हृदय
पापमुक्त महासती अहिल्या से
किस अंतरंगता से जुड़ता है
आइये देखें;
अभिशप्त मझधार में,
अपने विपुल उन्माद की, तुम्हारा जीवन
जम गया एक पत्थर में, निरभ्र, शीतल, और
शांत,
तुमने किया अपना पुनीत स्नान धूलि का,
गहरे पैठते आदिम
शान्ति में धरा की.
तुम पड़ी रहती हो मूक असीम में
जहां मुरझाये दिन गिरते हैं, मरे
फूलों की तरह बीजों के साथ, उग आने को फिर से
नए प्रभातों में.
तुमने सही है पुलक रवि के चुम्बन की
साथ
मूलों के तृण के और वुक्षों के, जो हैं
शिशु की अँगुलियों-सी फ़ैली
माँ के वक्ष पर.
रात को जब क्लांत बच्चे
धूल के लौट आये धूल को, उनके
लय-युक्त श्वासों ने छुआ था तुझे
साथ विशाल और प्रदीर्घ मातृत्व के
धरा के.
जंगली पौधों ने जकड़ लिया है तुम्हें अपने बन्धनों में
खिलती हुयी अंतरंगता के.
तुम आलोड़ित हुईं थीं सागर में जीवन के, जिसकी
तरंगें हैं पर्णों की खन-खन, मधु-मक्खियों की
उड़ान, तृण-कीटों का नृत्य और
प्रकम्प पतिंगों के पंखों का.
युगों तक तुमने लगा दिए अपने कान ज़मीन पर,
गिनते हुए पद-चाप उस अदृश्य
आगंतुक के, जिसके स्पर्श से मौन प्रज्वलित हो उठता है
संगीत में.
स्त्री पाप ने तुम्हें कर डाला है नग्न,
अभिशाप ने तुम्हें धो दिया है विशुद्ध,
तुम आ गयी हो एक पूर्ण जीवन को.
ओस उस अपैठ रात्रि की,
प्रकम्पित है तुम्हारी पलकों पर, काई
चिर यौवन वर्षों की चिपकी है तुम्हारे
केशों में.
तुम्हें लब्ध है आश्चर्य नव-जन्म का और
आश्चर्य पुरा-काल का, तुम्हारे
जाग्रत होने में.
तुम बाला हो नव-जात पुष्प-सी
और वृद्धा पहाड़ी के समान.
……
The poet became one with the lady Ahilya and sahred his emotions with the help of nature so beautifully.Awesome…! 👌👌👍
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Ravindranath Tagore ne pashaan bani devi Ahilya ki manah stithi kavita ke roop mein bahut sunder varnan kiya hai.
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Dada pranam
Kya abhivyakti hai
Aankhon ke saamne poora dhrshya ujagar ho jaata hai
Ek nirapradh stree lady kaise pathar dil insaan ke abhishap se pashaan mein parivartith ho gai
Jaise uska koi say nahi hai wo bina dil demaag ki hai aur apne pati parmeshwar per poori tarah aashrit hai
Yahi prakriti aur mahilaoon ki niyati hai
Shila bani ahilaya kitne saal nirjeev nisprah bani rahi yahan tak ki jangli jhadon aur kaai ke beech paddalit hoti rahi ki kab bhagwan Ram aaker usse shapmukt kerayenge
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