वास्तुशिल्प के अनुसार गणेश जी का रंग लाल है.
मनुष्य शरीर में सप्त चक्र, शक्ति केंद्र माने गए है. प्रत्येक चक्र का एक विशिष्ट रंग माना गया है. प्रथम शक्ति केंद्र रीढ़ के मूल में स्थित है, जिसे मूलाधार कहते हैं. इसका रंग लाल माना गया है. गणेश इस शक्ति केंद्र के अधिष्ठाता देवता हैं. अतएव लाल वर्ण उनसे संगत है.
इसी कारण गणेश जी को लाल फूल चढ़ाए जाते हैं, जो गणेश जी के स्फुरणों या कम्पनों, के अनुकूल पड़ते हैं. रक्त पुष्पों के साथ उन्हें रक्त चन्दन, और लाल रंग का कपड़ा चढ़ाया जाता है.
इसी प्रकार गणेश जी को दूर्वा या दूर्बा चढ़ाने का विधान है. दूर्वा १,३,५,७, आदि विषम संख्या में चढ़ाई जाती है. या फिर दूर्वा-माल के रूप में भी अर्पित की जाती है. ऐसा माना जाता है की दूर्वादल में गणेश तत्व को आकर्षित करने की अनोखी क्षमता होती है. गणेश जी इन्हें तत्परता से स्वीकार कर लेते हैं और उनका आशीर्वाद भक्त को फ़ौरन प्राप्त हो जाता है.
जब गणेश जी की मूर्ति, चित्र अथवा फोटो को लाल फूल, लाल चन्दन और लाल वस्त्र चढ़ाया जाता है तो फोटो,चित्र, मूर्ति अथवा विग्रह जीवंत हो उठता है. अतएव गणेश जी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें वही वस्तुएं चढ़ानी चाहिए, जो उन्हें प्रसन्न करें.