हिन्दू धर्म में पुराणों के अनुसार शिवजी जहाँ-जहाँ स्वयं प्रगट हुए उन स्थानों पर स्थित शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंगों के रूप में पूजा जाता है। ये संख्या में 12 है।
1. श्री सोमनाथ : गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित यह ज्योतिर्लिंग ऐतिहासिक महत्व रखता है। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
यहां रेल और बस से जा सकते हैं। रेल वेरावल तक जाती है। सोमनाथ के वर्तमान मंदिर का उद्घाटन देश के प्रथम राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद द्वारा किया गया था।
सौराष्ट्र देशे विशवेऽतिरम्ये, ज्योतिर्मय चंद्रकलावतंसम्।
भक्तिप्रदानाय कृतावतारम् तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये।।
2) श्री मल्लिकार्जुन : यह ज्योतिर्लिंग आंध्रप्रदेश के कृष्णा जिले में श्रीशैल पर्वत पर स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और देवी पार्वती के आंठ शक्ति पीठो में से एक है। यहाँ भगवान शिव की पूजा मल्लिकार्जुन के रूप में की जाती है और लिंग उनका प्रतिनिधित्व करता है। देवी पार्वती को भ्रमराम्बा की उपाधि दी गयी है। भारत का यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जिसे ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ दोनों की उपमा दी गयी है।
श्री शैलश्रृंगे विविधप्रसंगे, शेषाद्रीश्रृंगेऽपि सदावसंततम्।
तमर्जुनं मल्लिकार्जुनं पूर्वमेकम्, नमामि संसारसमुद्रसेतुम्।।
3) श्री महाकालेश्वर : यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर रूद्र सागर सरोवर के किनारे पर बसा हुआ है। कहा जाता है की अधिष्ट देवता, भगवान शिव ने इस लिंग में स्वयंभू के रूप में बसते है, इस लिंग में अपनी ही अपार शक्तियाँ है और मंत्र-शक्ति से ही इस लिंग की स्थापना की गयी थी।
अवंतिकाया विहितावतारम्, मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्।
अकालमृत्यो: परिरक्षणार्थम्, वंदे महाकाल महासुरेशम्।।
4) श्री ओंकारेश्वर : ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
यहाँ भगवान शिव के दो मुख्य मंदिर है, एक द्वीप पर बना हुआ ओंकारेश्वर (जिन्हें “ओमकार भगवान” का नाम दिया गया है) और दूसरा नर्मदा नदी के दक्षिणी तट पर बना हुआ अमरेश्वर (जिन्हें “भगवान अमरीश” भी कहा जाता है)। द्वादश ज्योतिर्लिंग में लिखे श्लोक के अनुसार अमरेश्वर ज्योतिर्लिंग का दूसरा नाम ममलेश्वर है। ज्यादातर लोग ओंकारेश्वर और ममलेश्वर दोनों ही मंदिरों को समान रूप से ही पूजते है और दोनों मंदिरों को समान महत्त्व भी दिया जाता है।
कावेरिकानर्मदयो: पवित्रसमागे सज्जनतारणाय।
सदैव मांधातृपुरे वसंतम्, ओंकारमीशं शिवमेकमीडे।
5) श्री केदारनाथ : केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। तीर्थस्थल हरिद्वार से यह 150 मील दूर है। मंदिर के दर्शन साल में केवल 6 माह के लिए ही खुले रहते है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
हिमाद्रीपार्श्वे च समुल्लसंतम् सम्पूज्यमानं सततं मुनीन्द्रै:।
सुरासुरैर्यक्षमहोरगाद्यै:, केदारसंज्ञं शिवमीशमीडे।
6) भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग : भीमाशंकर मंदिर एक ज्योतिर्लिंग है, जो भारत में पुणे के पास खेड के उत्तर-पश्चिम से 50 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। यह मंदिर पुणे के शिवाजी नगर से 127 किलोमीटर की दुरी पर सह्याद्री पहाडियों की घाटी में भीमा नदी के तट पर बना हुआ है, जिसे नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है।
यो डाकिनीशाकिनिकासमाजै: निषेव्यमाण: पिशिताशनेश्च।
सदैव भीमेशपद्प्रसिद्धम्, तं शंकरं भक्तहिंत नमामि।
7) श्री विश्वनाथ : भारत के उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थापित सबसे प्रसिद्ध हिन्दू मंदिरों में से एक है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर बना हुआ है और साथ ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
यहाँ भगवान शिव की मुख्य प्रतिमा को विश्वनाथ का नाम दिया गया है, जिसका अर्थ ब्रह्माण्ड के शासक से होता है।वाराणसी शहर को काशी के नाम से भी जाना जाता है और इसीलिए यह मंदिर भारत में काशी विश्वनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।
सानंदमानंदवने वसंतमानंदकंद हतपापवृंदम्।
वाराणसीनाथमनाथनाथम्, श्री विश्वनाथं शरणं प्रपद्ये।।
8) श्री त्र्यंबकेश्वर : त्रिंबकेश्वर या त्र्यंबकेश्वर एक प्राचीन हिन्दू मंदिर है, जो भारत में नाशिक शहर से 28 किलोमीटर और नाशिक रोड से 40 किलोमीटर दूर त्रिंबकेश्वर तहसील के त्रिंबक शहर में बना हुआ है।भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर है और साथ ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहाँ हिन्दुओ की वंशावली का पंजीकरण भी किया जाता है। पवित्र नदी गोदावरी का उगम भी त्रिंबक के पास ही है।त्रिंबकेश्वर में हमें तीन मुखी भगवान शिव का पिण्ड देखने मिलता है, जो भगवान ब्रह्मा, विष्णु और रूद्र का प्रतिनिधित्व करते है। पानी के ज्यादा बहाव (उपयोग) से यहाँ का पिण्ड धीरे-धीरे ख़त्म होता चला जा रहा है।कहा जाता है की पिण्ड का कटाव मानव समाज के विनाश को दर्शाता है। यहाँ पाए जाने वाले लिंग को आभूषित मुकुट (मुग्ध मुकुट) से सजाया गया है, जो पहले त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के सिर पर चढ़ाया जाता था।कहा जाता है की यह मुकुट पांडवो के ज़माने से चढ़ाया हुआ है और इस मुकुट में हीरे, जवाहरात और बहुत से कीमती पत्थर भी जड़े हुए है। भगवान शिव के इस मुकुट को हर सोमवार 4-5 PM के बीच लोगो को दिखाने के लिए रखा जाता है।
सह्याद्रीशीर्षे विमले वसंतम्, गोदावरीतीरपवित्रदेशे।
यद्यर्शनात् पातकपाशु नाशम्, प्रयाति त्र्यंबकमीशमीडे।
9) श्री वैद्यनाथ : यह ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। कहते हैं- रावण ने घोर तपस्या कर शिव से एक लिंग प्राप्त किया जिसे वह लंका में स्थापित करना चाहता था, परंतु ईश्वर लीला से वह लिंग वैद्यनाथ में ही स्थापित हो गया। मंदिर के परिसर में बाबा बैद्यनाथ के मुख्य मंदिर के साथ-साथ दुसरे 21 मंदिर भी है।
पूर्वोत्तरे पारलिकाभिधाने, सदाशिवं तं गिरिजासमेतम्।
सुरासुराराधितपादपद्मम्, श्री वैद्यनाथं सततं नमामि।।
10) श्री नागेश्वर : नागेश्वर मंदिर या नागनाथ मंदिर गोमती द्वारका और द्वारकापूरी के बीच गुजरात में सौराष्ट्र की सीमा पर बना हुआ है। इस मंदिर में पाए जाने वाले पिण्ड को भगवान शिव को नागेश्वर महादेव कहा जाता है और यह मंदिर हजारो तीर्थयात्रियो को आकर्षित करता है।इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
याम्ये सदंगे नगरेऽतिरम्ये, विभूषिताडं विविधैश्च भोगै:।
सद्भक्ति मुक्ति प्रदमीशमेकम्, श्री नागनाथं शरणं प्रपद्यै।।
11) श्री रामेश्वरम् : यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग का संबंध भगवान राम से है। राम वानर सेना सहित लंका आक्रमण हेतु देश के दक्षिणी छोर पर आ पहुंचे। यहां पर श्रीराम ने बालू का लिंग बनाकर शिव की आराधना की और रावण पर विजय हेतु शिव से वरदान मांगा।
श्री ताम्रपर्णीजलराशियोगे, निबध्य सेतु निधी बिल्वपत्रै:।
श्रीरामचंद्रेण समर्पितं तम्, रामेश्वराख्यं सततं नमामि।।
12) श्री घृष्णेश्वर : घर्नेश्वर शब्द का अर्थ ‘करुणा के स्वामी’ से है। यह मंदिर हिन्दुओ की शाव्यवाद परंपरा के अनुसार महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। इस ज्योतिर्लिंग को भगवान शिव का बारहवां और अंतिम ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है।घ्रुश्नेश्वर मंदिर एलोरा (वेरुल) के पास स्थित है और यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट एलोरा की गुफाओ से केवल 0.5 (आधा) किलोमीटर ही दूर है। यह मंदिर उत्तर-पश्चिम शहर औरंगाबाद से 30 किलोमीटर और पूर्व-उत्तरपूर्वी शहर मुंबई से 300 किलोमीटर दूर है।कहते हैं- ‘घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से वंशवृद्धि होकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।’
इलापुरे रम्यशिवालये स्मिन्, समुल्लसंतम त्रिजगद्वरेण्यम्।
वंदेमहोदारतरस्वभावम्, सदाशिवं तं घृषणेश्वराख्यम्।।
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्। उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्। सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे। हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥
एतेशां दर्शनादेव पातकं नैव तिष्ठति। कर्मक्षयो भवेत्तस्य यस्य तुष्टो महेश्वराः॥:
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम्
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12 Jyortiling ke baare mein jaante toh thhe hum log lekin vistrut jaankarinahin thee.
Bahut achha laga aapki Abheevyakti padh kar khaas kar jab ki Parson Mahashivratri hai.
Pranam chsransparsh.
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Dhanywad Yatish.Tumhari pratikriya jankar acha laga.
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Saare Jyotirling ki vruhad jaankaari ke liye sruddhaa nat naman. Iss gyaan ke prakaash se hamaare man mein sruddha aur vishwaas aur drudh hoga vishwaas hai .
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🙏🌹Maha Shivaratri, ke shubh din 12 Jyotirling ke vishay me sundar sateek vivran ka punylaab prapt hua 🙏😍Dhanyavaad,pranam.. 🙏🙏
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Very interesting and informative abhivyakti ! Thanks for sharing Chachaji. Bhagwan Shivji ke 12 jyotirlingon ke baare me sab jaankar gyaan aur punya dono mil sake!🙏🥰
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